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Showing posts from September, 2017

कैंसर से कोंसो दूर रखता है ये रहस्यमयी फल, नाम और काम सुनकर रह जाएंगे दंग.

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शरीर को पोषण ना केवल भोजन से बल्कि फलों से भी प्राप्त होता है. इनसे शरीर को सारे जरुरी विटामिन्स और मिनरल्स प्राप्त होते हैं. आज हम आपको एक ऐसे ही फल के बारे में बताने जा रहे हैं जो कई बड़ी बड़ी बीमारियों को ठीक करने में मदद करेगा. इसका रोजाना सेवन बॉडी के पूरे सिस्टम को सही रखेगा. पैशन फ्रूट हाई ब्लड प्रेशर से बचाता है इस फल का नाम पैशन फ्रूट है. भारत में इसे कृष्णा फल के नाम से जाना जाता है. पैशन फ्रूट में अधिक मात्रा में पोटेशियम होता है लेकिन सोडियम नहीं होता जिसकी वजह से ये फल हाई बल्ड प्रेशर होने से बचाता है. आंखों को रखता है स्वस्थ इसमें विटामिन ए और सी होता है जो आखों को स्वस्थ रखने में मदद करता है. हीमोग्लोबिन बढ़ाने में मददगार पैशन फ्रूट में आयरन और विटामिन सी की अधिक मात्रा होती है जो हीमोग्लोबिन बढ़ाने में सहायता करता है. पाचन तंत्र को बनाता है बेहतर इसमें फाइबर मौजूद होता है जिससे पाचन तंत्र को बेहतर तरीके से काम करने में मदद मिलती है. कैंसर से सुरक्षित ये फल कैंसर से सुरक्षित रखने में भी काफी मददगार है. इसमें पाया जाने वाला एंटीऑक्सीडेंट फ्री रेडिकल्स से लड...

जानिए 14 सितंबर को ही क्यों मनाते हैं हिन्दी दिवस?

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पूरे देश में हर साल 14 सितंबर को हिन्दी दिवस मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिन ही हिन्दी दिवस क्यों मनाया जाता है? जब साल 1947 में देश आजाद हुआ तो देश के सामने भाषा का सवाल एक बड़ा सवाल था। भारत जैसे विशाल देश में सैकड़ों भाषाएं और हजारों बोलियां थीं। छह दिसंबर 1946 को आजाद भारत का संविधान तैयार करने के लिए संविधान सभा का गठन हुआ। संविधान सभा के अंतरिम अध्यक्ष सच्चिदानंद सिन्हा बनाए गए। बाद में इसके डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को इसका अध्यक्ष चुना गया। डॉक्र भीमराव आंबेडकर संविधान सभा की ड्राफ्टिंग कमेटी (संविधान का मसौदा तैयार करने वाली कमेटी) के चेयरमैन थे। संविधान सभा ने अपना 26 नवंबर 1949 को संविधान के अंतिम प्रारूप को मंजूरी दे दी। आजाद भारत का अपना संविधान 26 जनवरी 1950 से पूरे देश में लागू हुआ। संविधान में विभिन्य नियम कानून के अलावा नए राष्ट्र की आधिकारिक भाषा का मुद्दा अहम था। काफी विचार-विमर्श के बाद हिन्दी और अंग्रेजी को नए राष्ट्र की आधिकारिक भाषा चुना गया। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में लिखी हिन्दी को अंग्रेजी के साथ राष्ट्र की आधिकारि...

आज भी जेब में पड़ा है एक रुपए के ऐसे सिक्के, तो हो सकते हो मालामाल.. जानिए कैसे

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करीब दो दशक पहले माता-पिता अपने बच्चों को जेबखर्च के लिए एक रुपए दिया करते थे। जो उनके लिए बहुत मायने रखता था। लेकिन वक्त बदला और बदलते वक्त के साथ एक रुपए की वैल्यू कुछ भी नहीं रही। आलम ये है कि आज के दौर में अगर आप किसी भिखारी को भी एक रुपए का सिक्का थमाते हैं तो मुमकिन है कि वो आपको देखकर भौहें सिकोड़ ले। बहरहाल, जिस तरह हर इंसान का दिन आता है उसी तरह एक रुपए के पुराने सिक्के का भी दिन आता है। एक सिक्का आपको लखपति बना सकता है। अगर आपके पास कोई विन्टेज सिक्का है तो वो आपको लखपति बना सकता है। यही नहीं, अगर आपकी किस्मत अच्छी निकली तो आपको 3 लाख तक का फायदा हो सकता है। दरअसल, आंध्र प्रदेश में सिक्कों का स्टॉल लगाने वाले एक कारोबारी के पास ऐसे ही कुछ सिक्कों का कलेक्शन है। जिसे उन्होंने 3 लाख रुपये में बेचा है। आपके पास भी अगर ऐसा कोई भी विन्टेज सिक्का है। तो आप भी उनको ऑनलाइन पोर्टल पर विन्टेज सिक्के बेच कर लखपति बन सकते हैं। आंध्र प्रदेश के रहने वाले बी चंद्रशेखर रोड के किनीरे ऐसे ही विंटेज सिक्कों की स्टॉल लगाते हैं। वह अपना यह स्टॉल वर्ल्ड तेलगु कॉन्फ्रेंस के सामने लगा...

शिव मंदिर जिसे देख वैज्ञानिक भी हैं हैरान

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हमारे प्राचीन समय में कई बड़े आविष्कार हुए हैं जो लुप्त हो गए. लेकिन इस बात से कोई इनकार नहीं करता कि उस समय की विज्ञान अति विकशित थी. आज हम एक ऐसे शिव मंदिर के बारे में बात करने वाले हैं जिसे देखकर वैज्ञानिक भी हैरान है. क्योंकि ऐसा मंदिर बनाना तो आज की इस विकसित विज्ञान से भी परे है. यह मंदिर स्थित है औरंगाबाद महाराष्ट्र में पुरुष का नाम है कैलाश मंदिर. इस मंदिर ने वैज्ञानिकों को इस प्रकार हैरान करके रखा हुआ है कि इस पर वैज्ञानिकों की अलग-अलग रहे हैं. कुछ वैज्ञानिक इसे उन्नीस सौ साल पुराना मानते हैं और कुछ वैज्ञानिक इसे 6000 साल पुराना मानते हैं. सबसे ज्यादा हैरानी वाली बात यह है कि इस मंदिर को ईंटों वह पत्थरों को जोड़ कर नहीं बनाया गया. इसे तो सिर्फ एक ही पत्थर को तोड़कर बनाना गया है. इसीलिए इसे कब बनाया गया इसका जवाब देना लगभग असंभव है. यहां पर ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर को बनाने में लगभग 18 साल का वक्त लगा. लेकिन विज्ञानिकों का यह मानना है कि इस 100 फिट से भी ऊंचा मंदिर को आज की तकनीक से भी 18 सालों में नहीं बनाया जा सकता. इस से भी अधिक अजीब बात तो यह है कि इस मंदिर को...

एक सुल्तान जिसकी रईसी देखकर धनवान भी रह जाते हैं दंग!

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आज जहां दुनिया की आधी से अधिक आबादी गरीब से लड़ रही हैं। वही बु्रनेई का एक सुल्तान की रईस देखकर अपने आप को धनवान समझने वाले भी उसक आगे गरीब दिखाई देते हैं। इस सुल्तान हसनल का नाम दुनिया के रईस लोगों में बड़े अदम और इज्जत से लिया जाता हैं। इस सुल्तान की सम्पत्ति करीब 1.24 लाख करोड़ रुपए हैं। इस सुल्तान के पास दुनिया की सबसे महंगी कारों का काफी खुबसूरत कलेक्शन हैं। इनके गैराज में आप पांच एयरक्राफ्ट हैंगर खड़े कर सकते हैं। इनके पाए एक सोने से लगा विमान हैं। साथ ही एक सोने से बनी कार भी हैं। सुल्तान जहां रहता हैं उन महल के सभी कमरों की छत पर सोने की प्लेट्स लगी हुई हैं। इनके पास जो बोइंग विमान हैं वो अंदर से किसी भी महल से कम नहीं हैं। विमान में एक बेड रूम और लिविंग रूम हैं ये सारी चीजें सोने की बनी हैं। साथ ही इस विमान में तमाम आधुनिक उपकरण मौजूद हैं।

94 साल के यह महाशय हर महीने उठाते हैं 21 करोड़ की सैलरी, जाने सफलता का राज

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आज कल आपने बिजनेस मैगजीन के कवर पर यंग चेहरे को देखा होगा. लेकिन एक चेहरा ऐसा भी है. जिनके ना होने से उनके प्रोडक्ट को रिलीज़ नहीं किया जाता है. और भारत देश का सबसे ज्यादा सैलरी पाने वाला शख्स भी है. भारतीय बाजार में इनके मसालें सबसे ज्यादा बिकने वाले मसालों में से एक है और उस मसाले का नाम एम डी एच मसाला है. M.D.H. के सीईओ जो 94 साल के धर्मपाल गुलाटी हैं. जिन्हें आपने किसी मैग्जीन नहीं बल्कि उनकी फोटो को उनके मसालों में खुद ही देखा होगा. पांचवी पास इस शख्स ने पिछले वित्त वर्ष के अनुसार 21 करोड़ की कमाई की. जो भारत की कई बड़ी-बड़ी कंपनियों के सीईओ के वेतन से कहीं ज्यादा है. पिछले वर्ष की वित्तीय गणना के अनुसार एमडीएच कंपनी को 213 करोड़ का लाभ हुआ था. एमडीएच कंपनी की 80% हिस्सेदारी धर्मपाल गुलाटी के पास है. पांचवी पास इस गुलाटी को दादाजी या महाशय के नाम से भी जाना जाता है. उनकी गिनती ऐसे सीईओ के रूप में की जाती है जो नियमित रूप से कंपनी, व्यापारियों और लोगों से मिलते रहते हैं. धर्मपाल गुलाटी को जब तक लोगों से यह नहीं पता चल जाता कि उनके मसालों का स्वाद कैसा है. ...

यदि आपके पास है यह 5 रूपये का सिक्का तो आप इसे बेच सकते हैं 5 लाख रूपये में

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यहां आपको हम जिस सिक्के के बारे में बता रहे है वह पांच रूपये का सिक्का कुछ इस तरह दिखता हैं। आपको विश्वास नही होगा लेकिन यह सत्य हैं। आज के समय में पुराने सिक्को का करोबार जोरो से चल रहा हैं।  यह पांच रूपये का सिक्का आपको लाखों रूपये दिला सकता हैं। आम सिक्कों की तरह इन सिक्कों का कलर विंटेज कलर में होता हैं। यदि आपके पास भी इस तरह के विटेज कलर के पांच रूपये के सिक्के है तो आप इनसे अच्छी कीमत प्राप्त कर सकते हैं।  हम बताते है कि आप इन सिक्को को कहा पर बैच सकते हैं। आंध्र प्रदेश के एक सिक्का व्यापारी चन्द्रशेखर ने इस प्रकार के सिक्को को 4 से पांच लाख रूपये में बेचे हैं। यदि आप चाहे तो चन्द्रशेखर से संपर्क कर सकते है या फिर आप इन सिक्कों को  ebay.com की वेबसाइट पर बेच सकते हैं।

यदि आपके पास हैं पुराने नोट तो बेचे 15 लाख रूपये में..

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आज के समय में पुराने नोट और सिक्के बहुत ही महंगे कीमत में बिक रहे हैं। अक्सर एेसा देखा गया है कि पुराने नोट और सिक्के उनकी कीमत से लाख गुना कीमत में बिकते हैं। इसलिए लोग पुरानी करेंसी को इकट्ठा करते हैं। आज हम आपके लिए एक एेसी खबर लेकर आये है जिसे जानकर आप काफि खुश हो जाएगें। एक ई-कामर्स वेबसाइट के अनुसार पुराने नोट और सिक्को की कीमतों में काफि बढोतरी हुई हैं। क्योंकि ये काफि पुराने हो गए है और मार्केट में बहुत ही कम मिलते हैं। जिसकी वजह से इनकी कीमतों में वृध्दि हुई हैं। कहा बैचे पुराने नोट और सिक्को को: हाल ही में एक दश रूपये के नोट को दश लाख रूपये में बेचा गया था। इसलिए पुराने नोटो को हमेशा संभाल कर रखना चाहिए। यदि आपके पास भी इस तरह के पुराने नोट है तो आप उसे ई-कामर्स वेबसाइट ebay और OLX पर बेच सकते हैं। आने वाले समय मे इन नोटों कि कीमत और बढ़ने वाली हैं। पर पुराने नोट की कीमत 15 लाख रूपये तक बताई जा रही हैं। जिनके पास भी पुराने नोट है उन्हें 15 लाख रूपये तक मिल सकते हैं।

तो ये है लगड़े आम का रहस्य...

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तो ये है लगड़े आम का रहस्य... आम का अपना एक अलग स्वाद और फ्लेवर होता है। गर्मियों में बाज़ार में दशहरी, चूसस, अल्फांसॉस और तोता परी जैसे कई तरह के आम आते है जिसमे एक शानदार किस्म है लंगड़ा, जो कि माध्यम आकार का, अंडाकार और हरा होता है। लेकिन क्या आपको पता है इस आम का नाम लंगड़ा कैसे पड़ा? आईये जानते है.... दरअसल आम की इस किस्म की कहानी करीब 250 से 300 साल पुरानी है। जब एक व्यक्ति ने आम खाकर उसका बीज अपने घर के आंगन में ही लगा लिया। जब उस पेड़ के आम मीठे और गूदे से भरे आने लगे तो लोगों ने इन्हें बहुत पसंद किया। उस पेड़ को लगाने वाला व्यक्ति लंगड़ा कर चलता था इसलिए गांव के सभी लोग उसे लंगड़ा कहते थे। जब लोगों ने इस आम के स्वाद को चखा तो इसक नाम 'लंगड़ा आम' रख दिया। धीरे-धीरे आम की उस किस्म का नाम लंगड़ा ही पड़ गया और आम की ये किस्म इसी नाम के साथ देश भर में मिलने लगी। यह आम उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, पंजाब, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में उगाया जाता है। यह आम कई तरह की मिट्टी में और वातावरण में पैदा होता है।